Rabindranath Tagore Poems in Hindi

Rabindranath Tagore Poems in Hindi
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Rabindranath Tagore Poems in Hindi
Rabindranath Tagore Poems in Hindi
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1) चल तू अकेला!
"तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…"

2) होंगे कामयाब
" होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।"

Rabindranath Tagore Poems in Hindi
3) प्रेम में प्राण में गान में गंध में (गीतांजलि)
"प्रेम में प्राण में गान में गंध में
आलोक और पुलक में हो रह प्लावित
निखिल द्युलोक और भूलोक में
तुम्हारा अमल निर्मल अमृत बरस रहा झर-झर।
दिक-दिगंत के टूट गए आज सारे बंध
मूर्तिमान हो उठा, जाग्रत आनंद
जीवन हुआ प्राणवान, अमृत में छक कर।
कल्याण रस सरवर में चेतना मेरी
शतदल सम खिल उठी परम हर्ष से
सारा मधु अपना उसके चरणॊं में रख कर।
नीरव आलोक में, जागा हृदयांगन में,
उदारमना उषा की उदित अरुण कांति में,
अलस पड़े कोंपल का आँचल ढला, सरक कर।"

4) अरे भीरु
"अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार
इस नैया का और खिवैया, वही करेगा पार ।
आया है तूफ़ान अगर तो भला तुझे क्या आर
चिन्ता का क्या काम चैन से देख तरंग-विहार ।
गहन रात आई, आने दे, होने दे अंधियार–
इस नैया का और खिवैया वही करेगा पार ।
पश्चिम में तू देख रहा है मेघावृत आकाश
अरे पूर्व में देख न उज्ज्वल ताराओं का हास ।
साथी ये रे, हैं सब “तेरे”, इसी लिए, अनजान
समझ रहा क्या पायेंगे ये तेरे ही बल त्राण ।
वह प्रचण्ड अंधड़ आयेगा,
काँपेगा दिल, मच जायेगा भीषण हाहाकार–
इस नैया का और खिवैया यही करेगा पार ।"

Rabindranath Tagore Poems in Hindi

5) विपदाओं से रक्षा करो, यह न मेरी प्रार्थना
"विपदाओं से रक्षा करो-
यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।
दुख से व्यथित मन को मेरे
भले न हो सांत्वना,
यह करो : दुख पर मिले विजय।
मिल सके न यदि सहारा,
अपना बल न करे किनारा; –
क्षति ही क्षति मिले जगत् में
मिले केवल वंचना,
मन में जगत् में न लगे क्षय।
करो तुम्हीं त्राण मेरा-
यह न मेरी प्रार्थना,
तरण शक्ति रहे अनामय।
भार भले कम न करो,
भले न दो सांत्वना,
यह करो : ढो सकूँ भार-वय।
सिर नवाकर झेलूँगा सुख,
पहचानूँगा तुम्हारा मुख,
मगर दुख-निशा में सारा
जग करे जब वंचना,
यह करो : तुममें न हो संशय।"

Rabindranath Tagore Poems in Hindi
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